नहीं जानते होंगे सेक्स के ये ब्यूटी बेनीफिट्स (Beauty Benefits Of Sex)

 

नहीं जानते होंगे सेक्स के ये ब्यूटी बेनीफिट्स (Beauty Benefits Of Sex)

By Aneeta Singh in Sex Life , Sex & Romance

चांद का नूर नज़र आता है उसके चेहरे पर, गालों पर फैली है गुलों की रंगत, होंठों पर हैं कई गुलाब खिले हुए और जुगनुओं सी है आंखों में चमक, मेरे महबूब को देखकर गुनगुनाने लगी हैं ये वादियां और गुलज़ार हो गयी है ये कायनात... हमारी भी तारीफ़ कोई ऐसे ही करें ये तो सभी चाहते हैं, लेकिन जानते नहीं कि ख़ूबसूरती सिर्फ़ स्किन केयर से नहीं आती, बल्कि प्यार-मुहब्बत से भी आती है. जी हाँ बिलकुल सही समझे हैं आप, आपके पार्टनर का प्यार ही तो है, जो आपको दिनभर निखरी और खिली-खिली त्वचा देता है. सेक्स के और भी हैं कई ब्यूटी बेनिफिट्स, आइए जानते हैं.

Benefits Of Sex

स्किन और बालों के लिए है बेहतरीन

जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन में छपी रिपोर्ट के अनुसार, ऑर्गैज़्म के कारण शरीर में एस्ट्रोजेन का लेवल बढ़ जाता है, जिसके कारन हमारी स्किन और बाल हेल्दी होते हैं. एस्ट्रोजेन के कारण स्किन मॉइश्चराइज़्ड होती है और रिंकल्स फ्री रहती है. यह स्किन के कोलाजन लेवल को भी बनाए रखता है, जिसके कारण स्किन सॉफ्ट और स्मूद बानी रहती है.

चेहरे पर आता है ग्लो

सेक्स के कारण हार्ट रेट और ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, जिसके कारण शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ जाती है. ऑक्सीजन की बेहतर सप्लाई से चेहरे की रौनक बढ़ जाती है.

जवां और निखरी त्वचा

३००० महिलाओं और पुरुषों पर की गयी एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि जो लोग हफ़्ते में तीन बार सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं, वो अपनी उम्र से ७ से १२ साल यंग नज़र आते हैं.

ऑर्गैज़्म आपके मूड को बेहतर बनाता है

आपको शायद पता नहीं हो कि ऑर्गैज़्म पर शरीर में सेराटोनिन और डीएचईए का स्राव होता है. सेराटोनिन एक न्यूरोट्रांस्मीटर है, जो आपको ख़ुश और जोश से भरपूर रखता है. इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

सेक्स के कारण आप अच्छा महसूस करते हैं

ऑर्गैज़्म के कारण शरीर में फील गुड हॉर्मोन्स डोपामाइन और ऑक्सिटॉसिन का स्राव होता है. ऑक्सिटॉसिन आपको रिलैक्स करता है, जिससे आप न सिर्फ़ अपने प्रति, बल्कि दूसरों के प्रति भी अच्छा महसूस करते हैं.

आत्मविश्वास बढ़ता है

आपको जानकर हैरानी होगी कि सेक्स और मेडिटेशन ब्रेन के एक ही हिस्से को प्रभावित करते हैं. मेडिटेशन का जो प्रभाव हमारे मन मस्तिष्क पर पड़ता है, वही प्रभाव सेक्स के कारण भी पड़ता है. आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, आतंरिक शांति का अनुभव होता है. आप समस्याओं को बेहतर ढंग से सुलझाने में सक्षम होते हैं.


अक्सर पुरुष करते हैं कंडोम से जुड़ी ये 5 ग़लतियां (Top 5 Mistakes Men Make While Using Condom)

 

अक्सर पुरुष करते हैं कंडोम से जुड़ी ये 5 ग़लतियां (Top 5 Mistakes Men Make While Using Condom)

सेक्सुअल एक्ट के दौरान सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ से बचने के लिये या फिर अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए लोग कंडोम का इस्तेमाल करते हैं. भले ही आप लंबे समय से इसका इस्तेमाल कर रहे हों, पर हो सकता है कि आप भी ऐसी ही ग़लतियां कर रहे हों, पर आपको पता न हो. हम यहां सेक्स के दौरान होनेवाली कंडोम से जुड़ी कुछ ऐसी ही ग़लतियों के बारे में बता रहे हैं.

Top 5 Mistakes Men Make While Using Condom
  1. पैकेट दांत से खोलना

अगर आप भी कंडोम का पैकेट दांत या नाख़ून से खोलते हैं, तो आज के बाद ऐसी गलती न दोहराएं. दांत या नाख़ून से कंडोम का पैकेट खोलने के चक्कर में अक्सर आप उसे डैमेज कर सकते हैं, इसलिये ध्यान रखें और कंडोम का पैकेट कभी भी दांत से खोलने की ग़लती न करें.

2. कंडोम चेक न करना

कभी भी कंडोम इस्तेमाल करने से पहले चेक करें कि वो कहीं से फटा या कटा तो नहीं, क्योंकि ऐसा हुआ तो ऐसा कंडोम इस्तेमाल करने का कोई मतलब नहीं होगा.

3. एक्ट शुरू होने के बाद कंडोम इस्तेमाल करना

ये ग़लती अक्सर बहुत से पुरुष करते हैं. एक्ट शुरू होने बाद बीच में वो कंडोम पहनते हैं, ऐसा करने से आप दोनों को सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज़ का ख़तरा बना रहता है, इसलिए ऐसा न करें. कभी भी सेक्सुअल एक्टिविटी शुरू होने से पहले कंडोम पहन लें.

4. कंडोम दोबारा इस्तेमाल करना

ये ग़लती भी अक्सर बहुत से पुरुष करते हैं. उन्हें लगता है कि अगर कंडोम में इजैकुलेट नहीं किया है, तो उसे दोबारा इस्तेमाल कर लेते हैं. आप ऐसा कभी न करें. यह ग़लती आप दोनों को इंफेक्शन दे सकती है या अगर फट गया, तो प्रेग्नेंसी भी हो सकती है. कोई भी कंडोम एक बार ही इस्तेमाल करें, उसे दोबारा इस्तेमाल करने की ग़लती न करें.

5. एक्सपायरी डेट चेक न करना

इस ग़लती को भी बहुत से पुरुष दोहराते हैं. होता यूं है कि एक बार पूरा पैकेट कंडोम आपने ख़रीद लिया, लेकिन इस्तेमाल नहीं किया या फिर उसमें से एक दो इस्तेमाल किया और बाकी के ऐसे ही रख दिए. बहुत दिन बाद उसे निकाला और बिना चेक कोई इस्तेमाल कर लिया. एक्सपायर्ड होने के कारण वो आपको ज़रूरी सुरक्षा नहीं दे पाया और आप इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं. इसलिए ऐसी ग़लती न करें.

- अनीता सिंह

कम सेक्स करनेवाली महिलाओं में क्या जल्दी होता है मेनोपॉज़? (Study Says Women Who Have Less Sex May Experience Early Menopause)

 

कम सेक्स करनेवाली महिलाओं में क्या जल्दी होता है मेनोपॉज़? (Study Says Women Who Have Less Sex May Experience Early Menopause)

By Aneeta Singh in Sex Life , Sex & Romance

सेक्स के फ़ायदे सभी को पता हैं. जहां सेक्स से कैलोरीज़ बर्न होती हैं, हार्ट हेल्दी होता है, स्किन अच्छी होती है, वहीं ये हमारी मैरिड लाइफ के लिए भी टॉनिक का काम करता है. सेक्स करने के इतने फ़ायदे हैं, पर फिर भी कुछ महिलाएं हैं, जो सेक्स को उतनी तवज्जो नहीं देतीं, जितनी देनी चाहिए. क्या सेक्स कम करने से सचमुच महिलाओं में जल्दी मेनोपॉज़ आ जाता है, आइए जानते हैं.

Sex Education facts: Happy couples

मैरिड लाइफ में रोमांच बनाये रखने में सेक्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जहां पुरुष इसमें काफ़ी एक्टिव होते हैं, वहीं महिलाएं उतनी ही सुस्त. हाल ही में सेक्स पर की गयी एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि 35 साल के ऊपर की जो महिलाएं सेक्सुअली कम एक्टिव होती हैं, उनका मेनोपॉज़ जल्दी हो जाता है.

क्या कहती है स्टडी?

स्टडी में यह बात सामने आयी है कि जो महिलाएं अधिक सेक्स करती हैं, उनका मेनोपॉज़ जल्दी नहीं होता. रिसर्च में ऐसा देखा गया कि जो महिलाएं हफ़्ते में एक बार सेक्स करती हैं, उनमें मेनोपॉज़ होने की सम्भावना जो महिलाएं महीने में एक बार सेक्स करती हैं, उनकी तुलना में 28% कम होता है.

Sex Education facts: Happy couples

मेनोपॉज़ होने का क्या है कारण?

रिसर्च में यह बात भी साबित हुई है कि जो 35 साल के ऊपर की महिलाएं सेक्स नही करतीं, तो उनका शरीर ओव्यूलेशन बंद करने के संकेत देने लगता है, जिसके कारण मेनोपॉज़ हो जाता है. दरअसल, शरीर यह सिग्नल देता है कि अब प्रजनन की प्रक्रिया के लिए अंडों को ज़रुरत नहीं, इसलिए ओव्यूलेशन बंद हो जाता है और मेनोपॉज़ हो जाता है.

इसमें 3 हज़ार महिलाओं पर की गयी स्टडी में यह भी सामने आया कि ओव्यूलेशन के दौरान महिलाओं की इम्यूनिटी कमज़ोर हो जाती है, जिससे बीमार होने की सम्भावना बढ़ जाती है.

क्या करें महिलाएं?

अगर आप नहीं चाहती हैं कि आपका मेनोपॉज़ भी जल्दी हो जाए, तो सेक्सुअली एक्टिव रहें. जितना हो सके उतनी एक्टिव रहें, क्योंकि न सिर्फ ये आपको मेनोपॉज़ से बचाये रखेगा, बल्कि आपको हेल्दी भी बनाये रखेगा. तो फिट एयर हेल्दी रहने के लिए अपनी सेक्स लाइफ एन्जॉय करें.

- अनीता सिंह

सेक्स से जुड़े सपनों का क्या है राज़? जानें सेक्स के इस पहलू को (Sex Dreams And What They Really Mean)

 

सेक्स से जुड़े सपनों का क्या है राज़? जानें सेक्स के इस पहलू को (Sex Dreams And What They Really Mean)

ज़्यादातर लोगों को सेक्स से जुड़े सपने आते हैं और ये पूरी तरह से नॉर्मल है, क्योंकि ऐसा बहुतों के साथ होता है. तो अगर आपको लगता है कि आप अकेले हैं, जिन्हें सेक्स के सपने आते हैं, तो रिलैक्स हो जाएं, आप अकेले नहीं हैं. जिस तरह हर सपना आपसे कुछ कहना चाहता है, ठीक उसी तरह इन सेक्सी सपनों का भी मतलब होता है.

Sex Dreams

हम कभी अपने एक्स के साथ सेक्स का सपना देखते हैं, कभी किसी सेलिब्रिटी, कभी अजनबी, तो कभी अपने पार्टनर को चीट करते हुए. हर सपने का एक मतलब होता है. ये सपनें हमारी फैमिली लाइफ, करियर और ज़िन्दगी से जुड़े होते हैं, तो आइए जानते हैं, क्या है इनका मतलब?

एक्स के साथ सेक्स

बहुत से लोगों को यह सपना आता है, पर इसका यह मतलब नहीं कि आपके मन में अभी भी उसके लिए फीलिंग्स हैं. हो सकता है कि जिस तरह आपका रिश्ता टूटा, उसका दर्द अभी तक गया नहीं है. हो सकता है कि आपके मन में अभी कुछ ऐसा हो, जो आपको लगता हो कि अनसुलझा रह गया. आप चाहें तो उससे बात करके अपने गिल्ट को ख़त्म कर सकते हैं.

सेलिब्रिटी के साथ सेक्स

ऐसा सपना भी बहुत से लोग देखते हैं. इसका यह मतलब हो सकता है कि आपके मन में उनके लिए कोई फीलिंग हो. कभी कभी सेलिब्रिटी के साथ सेक्स का सपना इतना रियल लगता है कि आपको यह महसूस होता है कि आप उससे जुड़े हो. ज़रूरी नहीं कि आपको उनके लिए फीलिंग्स ही हों, इसका मतलब यह भी हो सकता है कि आप भी कामयाबी पाना चाहते हैं और चाहते हैं कि लोग आपको भी इसी तरह पसंद करें.

किसी गैर के साथ सेक्स

इसमें डरने की कोई बात नहीं, इसका यह मतलब बिलकुल नहीं कि आपके मन में अपने पार्टनर के साथ चीटिंग करने की भावना उत्पन्न हो रही है. हो सकता है कि आप अपने रिश्ते को लेकर उलझन में हैं. यह भी हो सकता है कि आप अपने रिश्ते से संतुष्ट नहीं हैं. अगर सपने में आप किसी जान पहचान वाले को देखते हैं, तो हो सकता है कि आपके मन में उनके लिए कोई भावना हो.

पार्टनर का किसी और के साथ सेक्स करना

ये सपना महिलाओं को अक्सर आता है. ऐसा माना जाता है कि हर 5 में से 1 महिला ये सपना देखती है और हो सकता है हर छह महीने या साल में एक बार देखती हो. इसका मतलब ये हो सकता है कि आपका रिश्ता बहुत अच्छे दौर से नहीं गुजर रहा. इसका यह भी मतलब है कि आपके मन में कहीं न कहीं ये डर है कि आपका पार्टनर आपको छोड़कर चला जायेगा. पर ये महज़ डर है, इसलिए इस सपने को इतना तवज्जो देने की ज़रुरत नहीं.

Sex dreams

बॉस के साथ सेक्स

यह सपना भी अक्सर लोगों को परेशान करता है. ज़रूरी नहीं कि आपके मन में बॉस के लिए ऐसी भावनाएं हो, दरअसल इसका मतलब है कि आप ज़िन्दगी में कुछ बेहतर करने वाले हो या फिर कोई ज़िम्मेदारी आपके कन्धों पर आनेवाली है. बॉस का सपने में दिखने का मतलब है एक ऊंचा मकाम हासिल करने का अवसर आ रहा है.

प्राइवेट पार्ट्स के सपने

सपने में अगर आपको पुरुष का गुप्तांग या पेनिस दिखाई दे, तो इसका मतलब है कि जल्द ही अतिक्रमण या कुछ आक्रामक आपके साथ होनेवाला है. अगर आपको ब्रेस्ट दिखें तो मन जाता है कि ये पोषण की निशानी है. आपको पोषक भोजन पर ध्यान देने की ज़रुरत है. अगर सपने में योनि नज़र आये, तो यह आपकी सेक्सुअल डिजायर्स की तरफ इशारा करती है.


बेटर सेक्स लाइफ़ के लिए गोल्डन आयुर्वेदिक रूल्स (Golden Ayurvedic Rules For Better Sex Life)

 

बेटर सेक्स लाइफ़ के लिए गोल्डन आयुर्वेदिक रूल्स (Golden Ayurvedic Rules For Better Sex Life)

By Geeta Sharma in Sex Life , Sex & Romance
Adults in sex position
  • आयुर्वेद की मानें तो बेटर सेक्स इक्स्पिरीयन्स के लिए आपको फ़िज़िकली फिट होना ज़रूरी है. 
  • अगर आप ओवर वेट हैं तो बेहतर होगा वज़न कम करने का प्रयास करें.
  • पिरीयड्स के दौरान सेक्स अवॉड करना चाहिए. 
  • सेक्स के बेहतर अनुभव के लिए अपने प्राइवट पार्ट्स क्लीन रखने ज़रूरी हैं.
  • यहां तक कि ओवर ऑल हाइजीन भी बहुत ज़रूरी है. 
  • अपनी ओरल हेल्थ का ख़याल रखें. सांस में बदबू, शरीर से पसीने की दुर्गंध सेक्स अनुभव को ख़राब कर सकती है.
  • मौसम का भी आपकी सेक्स लाइफ़ पर प्रभाव होता है. मॉन्सून और गर्मी में शरीर को शक्ति कम होती है, इस दौरानकम सेक्स करना सही होता है और सर्दियों में शरीर को शक्ति बेहतर होती है, इसलिए यह बेस्ट सीज़न है रोज़ सेक्स करने का.
  • हालाँकि हर किसी को क्षमता अलग होती है और वो खुद इसे बेहतर जानते हैं.
  • अगर कोई सेक्स समस्या है तो नीम हकीमों के चक्कर में ना पड़ें बल्कि सही आयुर्वेदिक उपचार का सहारा लें.
  • सेक्स में एक दूसरे को तकलीफ़ ना दें, हिंसक सेक्स का आयुर्वेद विरोध करता है.
  • सेक्स हमेशा सॉफ़्ट और सूदिंग होना चाहिए.
  • भूखे पेट सेक्स ना करें, क्योंकि ऐसा करने पर आपको थकान, कमज़ोरी, सिर दर्द और चक्कर आने की समस्या होसकती है.
  • खाना खाने के फ़ौरन बाद भी सेक्स ना करें, क्योंकि खाने के बाद सेक्स करने से आपको गैस, असिडिटी, अपच, सीने में जलन, हृदय में भारीपन व सेक्स के दौरान भी थकान और सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है.
  • सबसे सही वक्त है खाने के २-३ घंटे बाद ही सेक्स करें.
  • योग व ध्यान से खुद को फिट रखें.
  • जब तक दोनों तैयार ना हों सेक्स ना करें.
  • फ़ोरप्ले और आफ़्टरप्ले ज़रूरी है.
  • शादी या पार्ट्नर के अलावा कहीं और सेक्स ना करें.
  • सेक्स को मशीनी क्रिया ना समझें, प्यार और भावनाओं से जोड़कर देखें.

सेक्स बूस्टर फ़ूड्स

Sex booster fruits
  • लहसुन, प्याज़ काफ़ी लाभकारी हैं, इन्हें देसी घी में पकाकर खायें.
  • बीटरूट, शकरकंद, पालक, कद्दू, भिंडी, सहेजन आदि देसी घी में पकाकर खायें.
  • ड्राई फ़्रूट्स और नट्स.
  • मसाले- अजवायन, हल्दी, लौंग, जीरा, केसर आदि.
  • गन्ना, गुड़.
  • दूध, दही, चीज़, देसी घी, पनीर.
  • आम, केला, अनार, कटहल, ख़रबूज़ा, तरबूज़, ऐवोकैडो, आडू, आलूबुखारा, नाशपाती.
  • अंडा, चिकन, सूप्स.
  • चावल, गेहूं और उड़द दाल.
  • शिलाजीत, अश्वगंधा, स्वर्णभस्म काफ़ी शक्तिवर्धक पदार्थ हैं. लेकिन ये विशेषज्ञ की सलाह से ही लें.

क्या ना खायें?

  • बहुत अधिक मसालेदार, तला-भुना, तेल वाला भोजन ना करें.
  • हल्का, सुपाच्य खाना खायें.
  • शराब, तम्बाकू व सिगरेट अवॉइड करें.
  • बहुत ज़्यादा चाय, कोल्ड ड्रिंक्स आदि भी ना पियें.
  •  देर रात तक ना जागें. 
  • टीवी बहुत ज़्यादा ना देखें.
  • एक ही जगह पर बहुत देर तक बैठे ना रहें. 
  • मोबाइल और कम्प्यूटर का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल ना करें.
  • पोर्न देखने की लत ना लगायें.

क्यों ज़रूरी हैं सेक्स बूस्टर फ़ूड्स?

Sex booster fruit
  • अखरोट स्पर्म की क्वालिटी बढ़ने में मदद करता है.
  • बादाम में मौजूद अमीनो ऐसिड इरेक्शन को बेहतर करने में मदद करता है. साथ ही रक्त संचार को बेहतर करता हैऔर रक्त धमनियों को रिलैक्स करता है.
  • तरबूज़ सेक्स एनर्जी, सेक्स की इच्छा और इरेक्शन को बेहतर करता है.
  • अंडे में भी मौजूद अमीनो ऐसिड इरेक्टायल डिसफ़ंक्शन को ठीक करने में मदद करता है.
  • केसर में प्राकृतिक रूप से सेक्स ड्राइव को बेहतर करने के गुण होते हैं और ये आपको सेक्स ऊर्जा को भी बढ़ाते है.
  • ऐवोकैडो में फ़ॉलिक ऐसिड और विटामिन बी 6 होता है जो हेल्दी सेक्स ड्राइव के लिए बहुत फायदेमंद रहता है.
  • पालक में फोलेट की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त संचार को बेहतर करने का महत्वपूर्ण तत्व है. इसमें मौजूदफ़ॉलिक ऐसिड सेक्स की क्रिया को बेहतर करने के लिए ज़रूरी है क्योंकि इसकी कमी से इरेक्शन की समस्या होसकती है.
5 Sex Tips Men Want Women To Know | महिलाओं के लिए 5 सेक्स टिप्स जो उनके पार्टनर चाहते हैं कि उन्हें पता हों

 

महिलाओं के लिए 5 सेक्स टिप्स जो उनके पार्टनर चाहते हैं कि उन्हें पता हों (5 Sex Tips Men Want Women To Know)

By Aneeta Singh in Sex Life , Sex & Romance

हर कपल अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए हमेशा कुछ न कुछ नया करता रहता है, लेकिन फिर भी उनकी सेक्स लाइफ उतनी एक्साइटिंग नहीं होती, जितनी होनी चाहिए. ज़्यादातर महिलाएं सेक्स का सारा दारोमदार पुरुषों पर छोड़ देती हैं, लेकिन उनके पार्टनर चाहते हैं कि वो भी एक्टिवली पार्टिसिपेट करें, उसके लिए प्लान करें, सरप्राइज़ दें आदि. महिलाओं के लिए कौन से वो सेक्स टिप्स हैं, जो उनके पार्टनर चाहते हैं कि उन्हें पता हों, तो आइए जानते हैं.

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1. सेक्सुअल परफॉर्मेंस पर तारीफ़ अच्छी लगती है

ज़्यादातर पुरुष चाहते हैं कि उनकी पार्टनर उनके सेक्सुअल परफॉर्मेंस की तारीफ़ करे. पुरुषों को अपने परफॉर्मेन्स के बारे में जानना अच्छा लगता है. उनके मन में हमेशा एक डर रहता है कि मैं पार्टनर को संतुष्ट कर पाऊंगा या नहीं और ऐसे में अगर आप ख़ुद उनकी तारीफ़ कर दें, तो उनका मनोबल बढ़ जाता है. आज का सेशन अच्छा था, आपकी वो हरकत मुझे अच्छी लगी आदि कहकर उनकी तारीफ़ करने की शुरुआत करें.

2. आपका टच उन्हें पसंद है

महिलाओं की तरह पुरुषों के भी कामोत्तेजक अंग होते हैं, लेकिन वो महिलाओं से इस बारे में कहने में संकोच करते हैं. पुरुषों की इनर थाइज़, चेस्ट और फेस पर अपनी पार्टनर का टच उन्हें अच्छा लगता है. अपने पार्टनर के मन को समझें और सेक्स के दौरान ये टच बनाए रखें.

3. पुरुषों की भी सेक्सुअल फैंटसीज़ होती हैं

महिलाओं की तरह पुरुषों की भी सेक्सुअल फैंटसीज़ होती हैं, लेकिन उनकी पार्टनर उनकी बात सुनकर हंसेगी या मज़ाक उड़ाएगी, इस डर से वो अपनी फैंटसीज़ शेयर नहीं करते. महिलाओं को अपने पार्टनर की सेक्स फैंटसीज़ के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए. हो सकता है कि वो कोई लव गेम ट्राई करना चाहते हों.

couple sex

4. एक्टिविटी के दौरान हो सेक्सी टॉक

सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान सेक्सी बातें करना ज़्यादातर पुरुषों को अच्छा लगता है. सेक्स के दौरान उनके कान में कुछ कहें, उनका ध्यान अपनी बातों को ओर खींचें, उनके लिए अपनी भावनाएं शेयर करें, इस समय आप कैसा महसूस कर रही हैं, उन्हें बताएं. ये सब बातें आपकी सेक्सुअल एक्टिविटी को और बेहतर बनाएंगी और यकीनन पार्टनर का परफॉर्मेन्स इम्प्रूव होगा.

5. आई कॉन्टैक्ट रखें

सेक्स के दौरान ज़्यादातर महिलाएं आंखें बंद कर लेती हैं, जबकि उनके पार्टनर चाहते हैं कि वो उनसे आई कॉन्टैक्ट रखें. उन्हें प्यार से देखें, उनकी आंखों में झांकें और उनके मन को समझें.

अब आपको पता है कि आपके पार्टनर को क्या चाहिए, तो उन्हें खुश करने के लिए आज़माएं ये स्मार्ट सेक्स टिप्स.

– अनीता सिंह

लाड़ली को दें पीरियड्स की जानकारी (Educate Your Daughter On Periods)

 

लाड़ली को दें पीरियड्स की जानकारी (Educate Your Daughter On Periods)

By Usha Gupta in Parenting , Others
  लाड़ली को दें पीरियड्स की जानकारी 
बदलती लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव के कारण जिस तरह महिलाओं में प्रीमेच्योर मेनोपॉज़ की तादाद बढ़ रही है, उसी तरह मासिक धर्म (मेन्स्ट्रुअल साइकल) की शुरुआत अब उम्र से पहले होने लगी है. ऐसे में ज़रूरी है कि आप इस विषय में अपनी लाड़ली से खुलकर बात करें. बेटी को कैसे दें पीरियड्स से जुड़ी सही व पूरी जानकारी? आइए, जानते हैं. कैसे करें बात की पहल? अगर आप अचानक बेटी को पीरियड्स के बारे में बताने से हिचकिचा रही हैं, तो निम्न तरी़के अपनाकर पहल कर सकती हैं- * बेटी को पीरियड्स से जुड़ी जानकारी देने का सबसे अच्छा तरीक़ा है, टीवी पर दिखाए जानेवाले सैनिटरी नैपकिन के विज्ञापन से बात शुरू करना. * स्कूलों में भी पीरियड्स से जुड़ी जानकारी देने के लिए ख़ासतौर पर लेक्चर्स रखे जाते हैं. आप चाहें तो इससे भी शुरुआत कर सकती हैं. अगर स्कूल में उसे जानकारी दी गई है, तो आप भी सहज होकर उसे समझा पाएंगी. * अपना अनुभव साझा करके भी आप बात की पहल कर सकती हैं. ऐसे में उसे ये भी बताएं कि आपको इस विषय में जानकारी कैसे और किससे मिली, आपने ख़ुद को कैसे तैयार किया आदि. तैयार रखें सवालों के जवाब * जब आप अपनी बेटी को पीरियड्स से जुड़ी जानकारी देंगी या उसे कहीं बाहर से इस विषय में पता चलेगा, तो ज़ाहिर है, वो आपके आगे सवालों की झड़ी लगा देगी. ऐसे में ख़ुद को उन सवालों के जवाब देने के लिए तैयार रखें, ताकि आप बेटी को पीरियड्स से जुड़ी पूरी और सही जानकारी दे सकें. आमतौर पर बेटी निम्न सवाल कर सकती है: - पीरियड्स स़िर्फ महिलाओं को ही क्यों होता है, पुरुषों को क्यों नहीं? - क्या पीरियड्स के दौरान दर्द से जूझना पड़ता है? - मेन्स्ट्रुअल साइकल कितने दिनों और कितने सालों तक होता है? - क्या मैं पीरियड्स के दौरान खेल-कूद सकती हूं? - जिन्हें पीरियड्स नहीं होते, उन्हें किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं? हो सकता है, इन सवालों के जवाब देना आपके लिए आसान न हो, मगर इस बात का ख़्याल रखें कि आधी जानकारी हमेशा हानिकारक होती है. अतः बेटी को पूरा सच बताएं, ताकि उसके मन में किसी तरह की कोई शंका न रहे. यह भी पढ़े – बड़े होते बच्चों को ज़रूर बताएं ये बातें बेसिक हाइजीन की जानकारी भी दें पीरियड्स से जुड़ी सारी बातें बताने के साथ ही अपनी बेटी को पीरियड्स के दौरान बेसिक हाइजीन की जानकारी भी अवश्य दें, जैसे- - सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? - कब और कितने समय के बाद नैपकिन बदलना ज़रूरी है? - सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल के बाद हाथ क्यों धोना चाहिए? - इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी नैपकिन को कैसे और कहां फेंकना उचित है? - इंफेक्शन से बचने के लिए पीरियड्स के दौरान प्राइवेट पार्ट्स की सफ़ाई पर किस तरह ध्यान देना चाहिए? - साथ ही पैंटी की साफ़-सफ़ाई पर भी विशेष ध्यान देना क्यों ज़रूरी है? हेल्दी टिप्स * पीरियड्स के दौरान ख़ूब पानी पीएं. छाछ, नींबू पानी या नारियल पानी भी पी सकती हैं. * नमक का सेवन कम से कम करें. * हर 2 घंटे के अंतराल पर कुछ खाती-पीती रहें. * मौसमी फल और सब्ज़ियों का सेवन करें, ख़ासकर गहरे रंग के, जैसे- बीटरूट, गाजर, कद्दू, पालक, लाल पत्तागोभी, पपीता, आम आदि. * बीज का सेवन भी फ़ायदेमंद होता है, जैसे- अलसी, तिल आदि. * फ्राइड और मसालेदार चीज़ों का सेवन न करें. * कम से कम मीठा खाएं. * रिफाइंड फूड भी न खाएं, जैसे- बिस्किट, बेकरी आइटम्स आदि. * फ्रूट जूस से परहेज़ करें. यह भी पढ़े – सेक्स एज्युकेशन: ख़त्म नहीं हुई है पैरेंट्स की झिझक कैसे पाएं पेट दर्द से राहत? पीरियड्स के दौरान पेट दर्द होना आम बात है. ऐसे में दर्द से राहत पाने के लिए 1 कप दही में 1/4 कप भुना हुआ जीरा और 1 टेबलस्पून शक्कर मिलाकर खाने से दर्द से राहत मिलती है.

- अलका गुप्ता

कहीं आपका बच्चा मानसिक शोषण का शिकार तो नहीं? (Is Your Child A Victim To Mental Abuse?)

 

कहीं आपका बच्चा मानसिक शोषण का शिकार तो नहीं? (Is Your Child A Victim To Mental Abuse?)

 “तुम बहुत ही बेवकूफ़ हो...” “तुम ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकते...” “मैं तुमसे इसलिए प्यार नहीं करती, क्योंकि तुम इस लायक ही नहीं हो....” “तुमसे कोई काम सही नहीं होता, जो करते हो ग़लत ही करते हो....” देखने या सुनने में ये वाक्य भले ही आम लगे, लेकिन जब ये वाक्य बार-बार, हर बार दोहराए जाते हैं तो सुननेवाले के दिलो-दिमाग़ में यह बात घर करने लगती है. धीरे-धीरे उसके मन में यह बात बैठ जाती है कि अब वह किसी लायक नहीं है. व्यक्ति का पूरा व्यक्तित्व ही ख़त्म हो जाता है, यही है मेंटल एब्यूज़िंग या मानसिक शोषण.  कहीं आप भी अपने बच्चे के साथ ऐसा ही तो नहीं कर रहे! माना कि माता-पिता बच्चों के दुश्मन नहीं होते, लेकिन बच्चों पर किस बात का क्या असर होगा, इसका फैसला आप स्वयं तो नहीं कर सकते. अक्सर कई माता-पिता कभी ज्ञान के अभाव में, तो कभी जान-बूझकर अपने बच्चों में कमियां निकाला करते हैं. उन्हें लगता है कि शायद इस बात से बच्चा अपनी ग़लती सुधारे और ज़िंदगी में क़ामयाब हो, लेकिन वे यह नहीं जानते कि वे अनजाने में अपने बच्चे के साथ कितना ज़ुल्म कर रहे हैं. इस तरी़के से वे अपने बच्चे को ज़िंदगी की दौड़ में और पीछे कर रहे हैं. इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं मुंबई के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. समीर दलवाई. क्या है मानसिक शोषण? साधारण शब्दों में यदि इसे परिभाषित किया जाए तो कहा जा सकता है कि बच्चों के प्रति किया गया ऐसा व्यवहार जो उसके लिए मानसिक रूप से ठीक न हो या उसके विकास में बाधा डाले, उसे मानसिक शोषण कहा जाता है. बच्चों के शारीरिक पीड़ा से कहीं ज़्यादा तकलीफ़देह है मानसिक पीड़ा, क्योंकि शरीर के ज़ख़्म तो भर जाते हैं पर ज़ुबां से निकले शब्द सीधे दिल पर लगते हैं और दिमाग़ को प्रभावित करते हैं. इसीलिए यह शारीरिक व यौन शोषण से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है. इसका असर कभी ख़त्म न होनेवाला होता है. यह भी पढ़े: बच्चों से जुड़ी मनोवैज्ञानिक समस्याएं  मानसिक शोषण के लिए ज़िम्मेदार लोग 1. सबसे पहले ज़िम्मेदार होते हैं माता-पिता या गार्जियन (जिनकी देखरेख में बच्चे  पल-बढ़ रहे हों). 2. बहन-भाई 3. शिक्षक या कोच (जो किसी खेल का प्रशिक्षण दे रहे हों). 4. सहपाठी (बुलिंग करना). कौन-कौन-सी बातें आती हैं? मानसिक शोषण में कई बातें आती हैं, जैसे- 1. बच्चे को बार-बार सज़ा देना- अंधेरे कमरे में ज़्यादा समय तक बंद करना या हाथ-पैर बांध कर बैठाना. 2. उस पर हर बार ग़ुस्सा करना, गालियां देना,  चीखना-चिल्लाना, डराना-धमकाना. 3. दूसरों के सामने मज़ाक उड़ाना, किसी ख़ास तरह के नाम से बुलाना. 4. नज़रअंदाज़ करना- बच्चे पर ध्यान न देना. उसकी ज़रूरत के अनुसार चीज़ें उपलब्ध न कराना. उसकी भावनाओं व मानसिकता को न समझना. 5. किसी और के सामने शर्मिंदा या अपमानित करना. 6. दूसरे बच्चों या भाई-बहनों से उसकी तुलना करना. 7. प्यार में कमी - बच्चे को चुंबन या आलिंगन न करना या ऐसी बातें न कहना, जिससे ज़ाहिर  होता हो कि माता-पिता उन्हें प्यार करते       हैं. स्पर्श का एहसास बच्चों में प्यार की भावना जगाता है. बच्चे स्पर्श की भाषा ख़ूब समझते हैं और इसी की अपनों से अपेक्षा करते हैं. 8. आरोपित करना- बार-बार यह कहना कि सब तुम्हारी ग़लती है. यदि तुम ऐसा न करते तो ये न होता.यह भी पढ़े: टीनएजर्स की मानसिक-सामाजिक व पारिवारिक समस्याएं   मानसिक शोषण का बच्चों पर प्रभाव भावनात्मक प्रभाव * इस तरह के बच्चे आत्मकेंद्रित हो जाते हैं. * व्यवहारिक नहीं होते. * संकोची व डरपोक क़िस्म के होते हैं. * ज़िंदगी में रिस्क लेने से डरते हैं. चुनौतियों से घबराते हैं. * मन से विद्रोही हो जाते हैं. * उत्साह की कमी होती है. * उनमें उदासीनता आ जाती है. ऐसे बच्चे जल्दी ही डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. * इन्हें हर जगह प्यार की तलाश होती है, जल्दी से संतुष्ट नहीं होते. * इनमें असुरक्षा की भावना बहुत ज़्यादा होती है. * एकाग्रता की कमी होती है, एक जगह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते. * रिश्ते बनाने में मुश्किलें आती हैं.श्र व्यक्तित्व उभर कर नहीं आता. * ऐसे बच्चे जल्दी गुमराह हो जाते हैं. * ऐसी लड़कियां अक्सर कम उम्र में कुंआरापन खो देती हैं. * शादीशुदा और सेक्स जीवन पर भी प्रभाव पड़ सकता है. * यदि समस्या ज़्यादा बढ़ जाए तो मानसिक रूप से स्थिर नहीं रहता. शारीरिक प्रभाव स्वस्थ नहीं रहते. ताउम्र स्वास्थ्य संबंधी परेशानी चलती रहती है.बच्चों का मानसिक शोषण चाहे माता-पिता द्वारा हो या फिर किसी और द्वारा, यह उसके बचपन पर भी असर डालता है और बड़े होने पर उसके व्यक्तित्व के साथ उसकी ज़िंदगी को भी प्रभावित करता है. यदि बच्चे को परिवार और स्कूल दोनों ओर से अच्छा माहौल मिले तो उसका विकास अच्छा होता है, व्यक्तित्व उभरकर आता है. कई केस में यह भी देखने में आया है कि बच्चे को घर में इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा है, लेकिन बाहर दोस्तों व शिक्षकों के सहयोग से वे अपने व्यक्तित्व को संतुलित करने में क़ामयाब भी हुए हैं. यह भी पढ़े: पैरेंट्स के लिए गाइड  माता-पिता बनें जागरुक 
  • कई माता-पिता को तो इस बात का एहसास भी नहीं होता कि वे कुछ ग़लत कर रहे हैं.
  • उन्हें लगता है कि बार-बार बच्चे को डांटने से उसमें आगे बढ़ने की इच्छा पैदा होगी.
  • ज़िंदगी की कठिन चुनौतियों के लिए वे अपने बच्चे को तैयार करना चाहते हैं, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं. लेकिन वे नहीं जानते कि अपनी अज्ञानता के चलते वे अपने बच्चे को अंदर से ख़त्म करते जा रहे हैं.
  • इस तरह का व्यवहार करके उससे उसकी ख़ुशहाल ज़िंदगी छीन रहे हैं.
  • उसकी क़ामयाबी पर रोक लगा रहे हैं.
  • इस तरह आप उन्हें अपने आप से भी दूर करते हैं और साथ ही दुनिया से भी.
  • यदि घर पर आपके बच्चे को माहौल अच्छा मिल रहा है, तो स्कूल में शिक्षक व दोस्तों का ध्यान ज़रूर रखें कि कहीं बच्चा वहां से प्रताड़ित तो नहीं है.
  • बच्चे को स्कूल भेजकर निश्‍चिंत न हो जाएं.
  • बच्चों के प्रति माता-पिता की ज़िम्मेदारी कभी ख़त्म नहीं होती.
  • बच्चों की ज़रूरतें और शौक़ पूरे कर देने को परवरिश नहीं कहते, इसके लिए ज़रूरी है  बच्चों के दिमाग़ को समझना.
  • उनके मनोविज्ञान को समझें.
  • एक बच्चे के पूर्ण विकास के लिए शारीरिक विकास जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है मानसिक विकास.
  • जिस तरह एक पौधे को पनपने के लिए खाद, धूप और पानी की ज़रूरत होती है, वैसे ही बच्चों के सही विकास के लिए लाड़-प्यार के साथ अच्छे संस्कार, शुद्ध विचार, प्रोत्साहन, ज़िंदगी की प्रेरणा, ख़ुशी व उत्साह का माहौल ज़रूरी है.
                                                                                                                                                            - सुमन शर्मा